ब्लॉग पर हिंदी में सीधे सीधे लिखना एक समस्या ही रही है। हालांकि इस कुछ प्रयासों के बाद मुझे काफी हद तक इस समस्या को सुलझाने में मदद मिली। किंतु विशेष चिंह जैसे चंद्रबिंदु, प्रश्नवाचक या डैस और डोटस आदि बनाने में अभी भी समस्या का सामना करना पड् रहा है। लेकिन यकीनन ये समस्याए नौसिखिया होने के कारण ही होंगी क्योंकि कुछ ब्लाॅग पर बहुत शुदद्य वर्तनी दिखाई देती है। मुझे फोन्ट कनवर्टर से लिखने में सुविधा रही क्योंकि उससे एकदम सही लिखा जाता है और वर्तनी खराब हो जाने की समस्या नहीं आती। ये लाइनें भी परीक्षण के लिए ही लिखी जा रही हैं। यदि सही नहीं आई तो फिर कनवर्टर ही एक सहारा रहेगा क्योंकि वर्तनी की गड्बड्ी पसंद नहीं आएगी।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
क्या हमारी मंजिल भी हमें खोज रही है?
कितना अच्छा लगता है यह सोचना कि जिससे हम प्यार करें, वह भी हमें उतना टूटकर प्यार करें। जिसका साथ पाने की इच्छा हमारे मन में हो, उसके मन म...
-
नित नया शून्य जो दिन-प्रतिदिन बड़ा होता जाता है। अपने चारों ओर खड़ी दीवारें जो धीरे-धीरे ऊँची होती जा रही हैं। इतनी ऊँची कि अब कुछ दिनांे ...
-
आज बालकनी में बैठा हुआ फागुन की गुनगुनी धूप का आनंद उठा रहा था अचानक सड़क पर एक अस्पष्ट सी आवाज सुनाई दी। समझ में नहीं आया तो नीचे झाँकन...
-
गाँव-देहात का एक बालक जे. के. रोलिंग की ‘हैरी पॉटर’ नहीं पढ़ सकता क्योंकि उसकी इतनी क्षमता नहीं कि वह इसका हिंदी अनुवाद पढ़ने के लिए छह-स...
No comments:
Post a Comment