Monday 20 February 2012
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क्या हमारी मंजिल भी हमें खोज रही है?
कितना अच्छा लगता है यह सोचना कि जिससे हम प्यार करें, वह भी हमें उतना टूटकर प्यार करें। जिसका साथ पाने की इच्छा हमारे मन में हो, उसके मन म...
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नित नया शून्य जो दिन-प्रतिदिन बड़ा होता जाता है। अपने चारों ओर खड़ी दीवारें जो धीरे-धीरे ऊँची होती जा रही हैं। इतनी ऊँची कि अब कुछ दिनांे ...
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आज बालकनी में बैठा हुआ फागुन की गुनगुनी धूप का आनंद उठा रहा था अचानक सड़क पर एक अस्पष्ट सी आवाज सुनाई दी। समझ में नहीं आया तो नीचे झाँकन...
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गाँव-देहात का एक बालक जे. के. रोलिंग की ‘हैरी पॉटर’ नहीं पढ़ सकता क्योंकि उसकी इतनी क्षमता नहीं कि वह इसका हिंदी अनुवाद पढ़ने के लिए छह-स...
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